संजय लीला भंसाली जल्द ही फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' लेकर आ रहे हैं, जिसमें आलिया भट्ट लीड रोल में दिखाई देंगी। फिल्म का टाइटल पोस्टर और ऐक्ट्रेस का फर्स्ट कैरेक्टर लुक हाल ही में जारी किया गया जिसे शानदार रिस्पॉन्स मिला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर में गंगूबाई काठियावाड़ी थीं कौन, जिन्हें 'मुंबई की माफिया क्वीन' कहा जाता था।
भंसाली लेखक एस हुसैन जेदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' के आधार पर इस फिल्म को बना रहे हैं। किताब के मुताबिक, गंगूबाई काठियावाड़ी का असली नाम गंगा हरजीवनदास था और वह गुजरात के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखती थीं
गंगूबाई ऐक्ट्रेस बनने का सपना देखती थीं और वह इसके लिए मुंबई आना चाहती थीं। इस बीच उन्हें अपने पिता के अकाउंटेंट से प्यार हो गया और उन्होंने शादी कर ली।
पति के साथ गंगूबाई शादी करने के बाद मुंबई भागकर आ गईं। यहीं से उनकी जिंदगी के सबसे बुरे पलों की शुरुआत हो गई। नाजों से पली-बढ़ी गंगा को उनके पति ने महज 500 रुपये की खातिर कोठे पर बेच दिया।
कोठे पर उन्हें जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया। इस दौरान गंगूबाई बन चुकी गंगा की मुलाकात मुंबई के कई कुख्यात अपराधियों व माफिया से हुई, जो वहां ग्राहक बनकर आते थे।
उस दौर में मुंबई के एक इलाके पर कुख्यात डॉन करीम लाला का राज चलता था। कमाठीपुरा भी इसी इलाके में आता था। एक बार गंगूबाई के साथ करीम लाला के गुंडे ने रेप किया। इसका न्याय मांगने के लिए वह करीम लाला के पास गईं और इस दौरान उसे राखी भी बांधी।
करीम लाला ने अपनी राखी बहन को कमाठीपुरा की कमान दे दी और तब से उस इलाके में फैसले गंगूबाई की इजाजत से होने लगे। इसके बाद गंगूबाई का ऐसा दबदबा कायम हुआ कि लोग उन्हें नाराज करने से भी डरने लगे। बड़े-बड़े माफिया, डॉन व गैंग्स के बीच भी उनका दबदबा बनने लगा।
गंगूबाई का जीवन जिस तरह बदला उसका दर्द वह कभी भूल नहीं पाईं। वह कभी भी किसी लड़की को अपने कोठों पर जबरन नहीं रखती थीं। वह किसी से जबरदस्ती की भी इजाजत नहीं देती थीं। वह सेक्सवर्कर और अनाथ बच्चों की स्थिति सुधारने के लिए भी काम करती थीं।
यूं तो गंगूबाई कमाठीपुरा के स्लम एरिया में ही रहती थीं, लेकिन उनके पास दौलत की कमी नहीं थी। 60 के दशक में वह अकेली ऐसी कोठा चलाने वाली महिला थीं जो ब्लैक बेंटले कार में ट्रैवल करती थीं।
मुंबई में वेश्या बाजार हटाने के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ तो इसका नेतृ्त्व खुद गंगूबाई ने किया। वह भले ही 'माफीया क्वीन' कहलाती थीं लेकिन उन्होंने वेश्यावृत्ति के खिलाफ और यहां कि महिलाओं की हालत सुधारने के लिए जो कदम उठाए उसे आज भी याद किया जाता है। कमाठीपुरा में उनकी मूर्ति भी लगी है साथ ही इलाके में कई जगह उनकी तस्वीरें भी दीवार पर लगी दिखती हैं।
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