एक ऐसा एक्टर जिसे आप किरदारों से तो पहचान लेंगे लेकिन शायद नाम से ना जानते हों। टीवी और फिल्म इंडस्ट्री का एक बेहद टैलेंटेड एक्टर जो बेशुमार टीवी सीरियल्स और फिल्मो में काम करते आये हैं। रामानंद सागर के मशहूर सीरियल श्री कृष्णा में नन्द बाबा का किरदार और अलिफ़ लैला में लीड एक्टर के तौर पर सिंदबाद जहाज़ी का किरदार अदा कर इन्होने अपनी बेहतरीन अदाकारी का परिचय दिया। इसके अलावा सबसे कठिन किरदार फिल्म फैंटम में हाफिज सईद का किया।
आज हम बात कर रहे हैं शाहनवाज़ प्रधान की। शाहनवाज़ प्रधान का जन्म 06 दिसम्बर 1959 को ग्राम राजखरियार, उड़ीसा मैं हुआ था। वालिद के स्वास्थ्य के चलते 1971 में शाहनवाज़ रायपुर आ गए थे। जो उस समय मध्य प्रदेश का हिस्सा था और बाद में छत्तीसगढ़ की राजधानी बना। शाहनवाज़ ने बाकी की पढाई रायपुर से पूरी की। शाहनवाज़ प्रधान को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और स्कूल के दिनों से ही ये नाटक किया करते थे। उनके स्कूल के गुरु आनंद वर्मा साहब वार्षिकोत्सव में उनसे छोटे कार्यक्रमों में एक्टिंग करवाते थे। यहाँ से उनको एक्टिंग का शौक लग गया।
वर्ष 1984 में थिएटर के मशहूर हबीब तनवीर साहब रायपुर की रविशंकर यूनिवर्सिटी मैं विजिटर प्रोफेसर बन कर आये। जहाँ उन्हें एक वर्ष का कार्यकाल मिला था। इस एक साल में उन्होंने शहर के कलाकारों को जोड़ा और एक प्ले तैयार करवाया। इस प्ले में शाहनवाज़ प्रधान ने भी भाग लिया। हबीब तनवीर जी का बड़ा मशहूर ग्रुप था जो अब उनकी बेटी चलाती हैं जिसका नाम नया थिएटर है। उनकी थिएटर मैं दिलचस्पी देख उन्हें तनवीर साहब ने अपने साथ शामिल होने का ऑफर दिया और शाहनवाज़ ने उस ऑफर को स्वीकृति दे दी। यहाँ से शाहनवाज़ प्रधान की थिएटर की शुरुवात हुई। 1984 से 1989 तक उन्होंने प्रोफेशनल थिएटर किये।
काफी वक़्त थिएटर करने के बाद शाहनवाज़ को लगने लगा अब मुंबई जाकर अपनी किस्मत आजमाई जाये। वर्ष 1991 की शुरआत में शाहनवाज़ सपनो की नगरी में अपने सपने ले कर आ गए और शुरू हो गया जदोजहद का दौर। मुंबई में उनकी खाला जान रहती थी। यही उनका प्लस पॉइंट था।
पहला ब्रेक उन्हें दूरदर्शन के सीरियल जन से जनतंत्र तक में मौका मिला। यही से उनके काम का सिलसिला चल पड़ा। जहाँ से उनकी पहचान बनी वो पहला सीरियल था श्री कृष्णा। उसमे उन्हें नन्द बाबा का रोले मिला। ये दौर वो था जब नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के कलाकारों को ही रियल एक्टर मन जाता था। क्योंकि उस समय मंझे हुए ओम पुरी, नसीरुद्दीन साह जैसे कलाकार उस स्कूल से निकल रहे थे। इस समय किसी फिल्म या सीरियल में रोल मिलना बड़ा कठिन काम था। श्री कृष्णा में नन्द बाबा के अलावा भी उन्होंने कुछ अन्य किरदार किये जैसे कृष्ण के दादा, सूरसेन, राजा बलि , चाडूर आदि।
रामानंद सागर को इनकी अदाकारी भा गयी और दोबारा इनको अलिफ़ लैला में सिंदबाद जहाज़ी का किरदार दिया गया। अलिफ़ लैला में लीड एक्टर के तौर पर सिंदबाद जहाजी का किरदार अदा किया। जिस से इन्हे खूब सोहरत मिली। सिंदबाद के पात्र ने इन्हे टीवी की दुनिया का स्टार बना दिया। शाहनवाज़ प्रधान ने इसके बाद पीछे मुड़ के कभी नहीं देखा।
टीवी सीरियल्स में काम करने के बाद इन्हे फिल्मो में भी मौके मिलने लगे। न जाने कितनी फिल्मो में इन्होने बेहतरीन अदाकारी का अभिनय किया। सबसे मुश्किल किरदार करने का मौका इन्हे फिल्म फैंटम में मिला। जिसमे इन्हे पकिस्तान के हाफिज सईद का किरदार निभाना था। जिसके लिए इन्हे कुछ वक़्त तक अंडरग्राउंड भी होना पड़ा था। मुंबई के मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहान ने फैंटम में हाफिज सईद के किरदार के लिए उन्हें एक मौका दिया।
इसके अलावा इन्होने कई सारे टीवी शोज, फिल्मों के अलावा वेब सीरीज में भी काम किया। जैसे मिर्ज़ापुर, 24 और होस्टेजेस। इनको आपने मिर्ज़ापुर वेब सीरीज में परशुराम गुप्ता के किरदार में देखा होगा। इसके अलावा अलिफ़ लैला, अली बाबा चालिश चोर, रईस, मंटो, होस्टेजेस और चक्की आदि में भी देखा होगा। अभी आप इन्हे आने वाली फिल्मो में भी देखेंगे।
आज ये टीवी और फिल्मो के जानी मानी सख्शियत हैं। उनका मानना है की हर दिन आदमी कुछ सीखता है। इसलिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।
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