1988 में प्रसारित हुई महाभारत के भीष्म पितामह और 1997 में प्रसारित हुआ शक्तिमान तो आपको याद ही होंगे। याद भी क्यों न हों ये पात्र आपके चहेते जो बन गए थे। भीष्म पितामह से आशीर्वाद लेना और शक्तिमान से सुरक्षा मांगना तो हमारा धर्म बन गया था। भीष्म पितामह के किरदार ने जहाँ बड़ों का सम्मान करना सिखाया वहीँ शक्तिमान के किरदार ने बच्चों को बुराइओं से दूर रहना सिखाया। आज हम बात करेंगे की कैसे इन किरदारों ने एक कलाकार की जिंदगी को बदल कर रख दिया ?
अभिनय की दुनिया में बड़ा नाम बन चुके मुकेश खन्ना का जन्म 23 जून, 1958 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। मुकेश ने अपनी स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद सन् 1981 में रूही फिल्म से फ़िल्मी कैरियर में कदम रखा। खन्ना ने अपनी शिक्षा भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान से पूरी की थी। इन्होंने जब स्कुली शिक्षा शुरू की थी तब फ़िल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह तथा शक्ति कपूर भी उसी विद्यालय में पढ़ते थे जिसमें खन्ना पढ़ाई करते थे।
वे फिल्मो के लिए कभी नहीं भागे । मुकेश ने सौगंध, यलगार, सौदागर, तहलका, हिम्मत और बरसात जैसी फिल्मों में काम किया। ये सभी फिल्मे सुपरहिट साबित हुई।
1980 के दशक में बीआर चोपड़ा ने ‘महाभारत’ बनाई तो इसमें खन्ना को भीष्म पितामह की भूमिका दी गई। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि उन्हें महाभारत में भीष्मपितामह का रोल कैसे मिला। दरअसल मुकेश खन्ना को सीरियल में अर्जुन का रोल प्ले करना था। मगर ये रोल उनके हाथ से निकल गया। इसके बाद घूम फिर कर उनके हाथ में गुरू द्रौणाचार्य का रोल आया। मुकेश ये रोल करना तो नहीं चाहते थे मगर भारी मन से उन्होंने ये रोल प्ले करने के लिए हामी भर दी। इत्तेफाक कुछ ऐसा हुआ कि ये रोल भी उनके हाथ से निकल गया और जो अगला रोल उन्हें करने को मिला वो था भीष्म पितामह का। मुकेश ने खुशी-खुशी इस रोल के लिए हामी भर दी। ये रोल उन्हें ही नहीं बल्कि उनके पिता को भी बहुत पसंद आया था। इस रोल की वजह से उनकी जिंदगी ही बदल गयी।
भीष्म पितामह के किरदार को निभा कर मुकेश इस किरदार से ऐसे प्रभावित हुए की उन्होंने जीवन भर विवाह न करने का निर्णय कर लिया। ये उनकी एक्टिंग का ही टैलेंट है जो इस किरदार में पूरी तरह से समा गए। उनके इस संकल्प को भीष्म प्रतिज्ञा से जोड़ कर देखा जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की मुकेश खन्ना कोई नशा तो दूर कोल्ड ड्रिंक्स तक का सेवन नहीं करते हैं। उनके जीवन को देखें तो उन्होंने समाज के लिए आदर्श स्थापित किया। इसी कारण से जब उन्होंने शक्तिमान का निर्माण किया तब उन्होंने हर एपिसोड के अंत में बच्चों को बुराइयों से दूर रहने का रास्ता दिखाया।
भीष्म के पौराणिक किरदार के बारे पूछे जाने पर खन्ना ने कहा, ‘‘यह एक पौराणिक पात्र था और मैंने इसके लिए पूरी मेहनत की। भीष्म के जीवन से बहुत कुछ मैंने सीखा। मैं कोशिश करता हूं कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों के साथ हमेशा बना रहूं ।’’
टेलीविजन धारावाहिकों की मशहूर निर्माता एकता कपूर ने ‘कहानी महाभारत की’ नामक अपने कार्यक्रम में खन्ना को शांतनु का किरदार निभाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
एकता के प्रस्ताव के बारे में खन्ना ने कहा, ‘‘मुझे शांतनु का किरदार निभाने के लिए कहा गया था, लेकिन मैंने मना कर दिया। फिर मुझसे एकता कपूर ने भीष्म का किरदार निभाने के लिए कहा, फिर भी मैं तैयार नहीं हुआ। मेरा मानना है कि महाभारत को फिर से नहीं बनाया जा सकता।’
मुकेश खन्ना वो नाम जो भीष्म पितामह जैसा कर्मठ रोल निभा सभी की वाहवाही लूटी। वहीँ सुपरहीरो बन घर घर में बच्चों की जुबां पर शक्तिमान के नाम से छा गए।
मुकेश खन्ना का करियर भले ही इन दोनों किरदारों के इर्द-गिर्द ही घूमता हो। मगर मुकेश खन्ना का जिक्र उनके थियेटर और बॉलीवुड के काम के बिना अधूरा है। निगेटिव शेड का रोल हो या फिर उम्रदराज शख्स का मुकेश ने हर किरदार को चुनौतीपूर्ण तरीके से प्ले किया। साथ ही लोगों के इस भ्रम को भी तोड़ा कि वे अमिताभ बच्चन की कॉपी करते हैं।
भले ही पिछले कुछ समय से वे फिल्मों में ज्यादा सक्रिय ना रहें हों मगर वे अब फिर से वर्ष 2020 में शक्तिमान को एनीमेशन सीरीज के रूप में वापस लाये हैं।
मुकेश हमेशा अपने चैनल भीष्म इंटरनेशनल के माध्यम से राजनीतिक एवं सामाजिक विचार बेबाक रूप से सबके सामने रखते आये हैं। देश के बच्चों के संस्कार एवं उनके भविष्य को लेकर उन्होंने हमेशा अपनी आवाज बुलंद की है। इसी वजह से बेहतरीन कलाकार होने के बावजूद उन्होंने मायानगरी से दूरी बनायी।
उनको आने वाले एनिमेटेड शक्तिमान के लिए शुभकामनाएं। एनिमेटेड शक्तिमान फिर से अपने कीर्तिमान स्थापित करे।
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