अगर आपको नासा अमेरिका बुलाकर अपने यहाँ रिसर्च से जुड़ने के लिए कहे तो निश्चिततौर पर आपका जवाब हाँ ही होगा, क्योंकि अमेरिका अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शीर्ष पर है और उसका कारण है नासा। नासा से जुड़ने का ख्वाब हर कोई देखता है। लेकिन देश के लिए नासा का ऑफर ठुकरा देना वो भी एक नहीं तीन तीन बार। ये आसान नहीं है। जिनकी हम बात कर रहे हैं उनका सपना देश के लिए काम करना है। फिलहाल वह देहरादून में बनी लैब में शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं गोपाल जी की। गोपाल जी का जन्म 24 अप्रैल 2000 को बिहार के भागलपुर जिले के ध्रुबगंज गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रेमरंजन कुमार है और माता का नाम ऊषा देवी है। गोपालजी के पिता प्रेमरंजन कुमार 10 कट्ठा खेत में खेती कर पूरा परिवार चलाते हैं। दो बड़ी बहन मीनू कुमारी और अन्नू कुमारी के बाद तीसरे नंबर पर गोपाल जी हैं। उसने तुलसीपुर के मॉडल हाईस्कूल से 2015 में 85 फीसदी से मैट्रिक की परीक्षा पास की। वहीं उसी स्कूल से 2017 में 75 फीसदी से इंटर की परीक्षा पास की।
गोपाल जी के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो एक दिन दुनियाभर की
सुर्खियों में रहेगा। वजह यह है कि छोटी सी उम्र में गोपाल ने अपनी प्रतिभा
के बूते अमेरिका तक में अपनी छाप छोड़ी है। इनके पसंदीदा खिलाड़िओं की बात
करें तो उस लिस्ट में टेनिस खिलाडी रोजर फेडरर और क्रिकेट के भगवान सचिन
तेंदुलकर हैं।
बिहार की राजधानी पटना से 223 किलोमीटर दूर स्थित गांव ध्रुबगंज के गोपाल की कामयाबी का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा है, मगर विपरित हालात में भी गोपाल ने हार नहीं मानी। वर्ष 2008 में गोपाल का गांव भीषण बाढ़ की चपेट में आ गया था। 2008 में बाढ़ में केला की खेती
को काफी नुकसान हुआ। इसके बाद उसने ठान लिया कि केला के सभी बर्बाद होने
वाले थंब से वह जरूर कुछ बनाएगा। जिस से बाढ़ के कारण होने वाले नुकसान को पूरा
किया जा सके। उसने देखा कि केला के थंब का रस लग जाने से भी दाग लग जाता
है। गोपालजी ने सोचा कि केला के थंब में भी एसिड का गुण है। इसी दौरान
उसने पढ़ा कि एसिड को एलेक्ट्रोलाइसिस कर चार्ज पैदा किया जाता है। वह
स्कूल से वोल्ट मीटर और इलेक्ट्रोड लाया और केला के थंब पर यह प्रयोग किया
तो उससे चार्ज बना जो बिजली पैदा कर सकती थी। उसके इस प्रयोग को
राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता पर पुरस्कृत किया गया। उसे 2014 में
इंस्पायर अवार्ड भी मिला। उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने मुलाकात की। उन्होंने काफी सहयोग किया।
इसके बाद गोपाल नहीं रुके और एक के बाद एक अविष्कार की झड़ी लगा दी। अगर उनके अविष्कारों की बात करें तो उनके अविष्कार हैं
1. हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल- इस डिवाइस से 50 हजार वोल्ट बिजली स्टोर की जा सकती है।
2. पेपर बायो सेल- वेस्टेज पेपर से बिजली।
3. जी स्टार पाउडर- इसे लगाकर 5 हजार डिग्री सेल्सियस का हीट गेन किया जा सकता है।
4. बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक- केले के थंब से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाया गया है। इसका इस्तेमाल करने के बाद यह खुद-ब-खुद खाद बन जाएगा। खेतों में इसका इस्तेमाल हो सकेगा।
5. सोलर माइल- सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी को मिलाकर इसे बनाया गया है। 2 किमी की रफ्तार से हवा चलने पर भी बिजली स्टोर की जा सकेगी।
6. बनाना नैनो फाइबर एंड क्रिस्टल- केले के थंब से नैनो फाइबर बनाया। उससे जैल बना। इससे डाइपरी प्रोडक्ट बनेंगे। फाइबर से बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया जा सकेगा। केले के पत्ते से टिशू पेपर, फाइल कवर और कार्टन बनाया जा सकेगा। लिक्विड से हेयर डाई बनाया जा सकेगा। इसे एक बार लगाने से हमेशा के लिए बाल काले हो जाएंगे। केले के थंब से ईंटें बनाई जाएंगी। इससे बने मकान पानी पर तैरेंगे। गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। लिक्विड से इलेक्ट्रिक बैटरी बनाई है जो दस गुना ज्यादा पावरफुल है।
7. गोपोनियम एलोय- किसी भी हीट पर इसका रूप नहीं बदलता। इसमें कई एलिमेंट का प्रयोग किया। इसे इस्तेमाल कर सूर्य पर भी जाया जा सकता है।
8 गोपालासका- न्यूक्लियर अटैक से पैदा रेडिएशन को कम करेगा। अब 5 सालों में ही इसका असर खत्म किया जा सकेगा। जबकि अभी न्यूक्लियर अटैक का रेडिएशन सौ सालों तक रहता है।
बचपन से मेधावी रहे गोपाल को अपने आविष्कारों के चलते वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का मौका मिला। पीएम मोदी ने उसे अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए राष्ट्रीय नवप्रर्वतन प्रतिष्ठान अहमदाबाद (एनआईएफ) भेज दिया। वहां पर गोपाल ने छह आविष्कार किए। गोपाल की गिनती दुनिया के 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट में भी होती है। गोपाल विदेश जाकर नासा या कोई अन्य संस्था ज्वाइन करने की बजाय हिन्दुस्तान में ही रहकर शोध करना चाहते हैं। उन्हें ऑक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी में शोध करने के प्रस्ताव मिले हैं। वो iSMART एजुकेशन के ब्रांड एम्बेसडर भी हैं। AcmGeu में रिसर्च डायरेक्टर भी हैं।
गोपाल जी ने 2 अविष्कार पेटेंट भी कराये हैं। इस युवा वैज्ञानिक के दोनों आविष्कार जो पेटेंट हुए हैं को कुछ विदेशी
कंपनियों ने खरीदने का ऑफर दिया। जिसके लिए बड़ी राशि देने का ऑफर भी दिया
गया। लेकिन गोपालजी ने अपने आविष्कार को विदेशी कंपनियों को सौंपने से मना
कर दिया। गोपालजी ने कहा कि वह अपने आविष्कार को अपने देश के लिए ही
उपयोग करेंगे।
30 जनवरी से 8 फरवरी 2020 तक आबूधाबी में विश्व का सबसे बड़ा साइंस फेयर हो
रहा है। इसमें गोपाल को बतौर मुख्य वक्ता आमंत्रित किया गया है। आबूधाबी
साइंस फेयर 2020 में दुनिया से करीब छह हजार से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल हो
रहे हैं। छोटे से गांव के गोपाल की प्रतिभा के दम पर उसे आबूधाबी साइंस
फेयर 2020 में बुलाया जाना हर किसी के लिए गौरवशाली है।
गोपाल के ऊपर डिस्कवरी चैनल, सीएनएन और हिस्ट्री चैनल जैसे अंतर्राष्ट्रीय
टीवी चैनल डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही है। इस डॉक्यूमेंट्री को इन
चैनलों पर दिखाया जाएगा।
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