सपने किसी की जागीर नहीं होते, न तो सफलता किसी की गुलाम होती है। सपने तो उनके पुरे हो ही जाते हैं जो सिद्दत से कोशिश करते हैं। बहाने बनाने वाले बहाने ही बनाते रह जाते हैं और बिना रुके कोशिश करने वालों को सफलता मिल ही जाती है। भारतीय अंडर-19 टीम के क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल की कहानी कुछ ऐसी ही है। यशस्वी जायसवाल को संघर्ष का दुसरा नाम कहे तो कोई हर्ज नही होगा क्योंकी इन्होंने इस मुकाम पर पहुचनें के लिए बहुत संघर्ष और परिश्रम किया है । तमाम कठिनाइयों से पार पाते हुए आखिरकार वह देश के लिए अंडर 19 वर्ल्ड कप में खेल रहे हैं। घरेलु क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल अपना घरेलु क्रिकेट मुंबई की तरफ से खेलते है । हाल ही में क्रिकेट के भगवान कहे जाने सचिन ने अपना बैट यशस्वी को गिफ्ट किया है। सचिन जायसवाल सलामी बल्लेबाज के तौर पर टीम में अपनी भुमिका निभाते है।
क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसम्बर 2001 को उतरप्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां गाँव में हुआ । इनके पिता का नाम भुपेन्द्र कुमार जायसवाल है , जो एक छोटी सी हार्डवेयर दुकान चलाते हैं और यशस्वी की माता का नाम कंचन जायसवाल है , जो एक ग्रहणी है ।
यशस्वी बचपन से ही क्रिकेट में अत्यंत रूचि रखते है । 11 वर्ष की आयु में यशस्वी अपने के रिश्तेदार के साथ वड़ली, मुंबई आ गये थे। रिश्तेदार संतोष ने यशस्वी को एक डेयरी में सोने की व्यवस्था की जिसमें यह शर्त थी की वे थोड़ी काम मदद करेगें , लेकिन यशस्वी दिन में क्रिकेट का अभ्यास करते और रात में आकर सो जाते थे । डेयरी मालिक ने यशस्वी की काम में कोई मदद न देखकर सोने के लिए मना कर दिया ।
यशस्वी जायसवाल ने 3 साल तक मुस्लिम युनाइटेड क्लब में ग्राउंडमैन के साथ टेंट में रहे । टेंट में रहने के लिए भी बड़ी का सामना करना पड़ा था । पिता द्वारा भेजे गए पैसों से यशस्वी का गुजारा नही चल पाता था, इसलिए इन्होंने आजाद मैदान में होने वाली रामलीला के दौरान गोलगप्पे भी बेचे ।
यशस्वी के जीवन का ट्रनिंग पॉइंट तब आया जब यशस्वी बल्लेबाजी का अभ्यास कर रहे थे , तभी वहा के लोकल कोच ज्वाला सिंह की नजर इन पर पड़ी । ज्वाला सिंह बताते है की " मैंने जब यशस्वी को ए-डीवीजन गेंदबाज की गेंदे को आसानी से खेलते हुए देखा तो मैं बहुत प्रभावित हुआ और इसको प्रशिक्षण देने का फैसला किया " कोच ज्वाला सिंह ने इनको अपने साथ अपने घर लेकर गये और इनको प्रतिदिन क्रिकेट का अभ्यास करवाते थे । यशस्वी अपने खेल का श्रेय अपने कोच ज्वाला सिंह को देते है ।
जायसवाल का नाम पहली चर्चा में तब आया जब 2015 में स्कुली क्रिकेट प्रतियोगिता में 319 रन बनाये और इनका नाम " लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड " में शामिल हुआ । फिर इनका चयन अंडर 16 और अंडर 19 में हुआ ।
2018 अंडर 19 एशिया कप में टिम का हिस्सा बने , यशस्वी ने 85 रन बनाकर टिम को विजेता बनानें में मदद की इस मैच में यशस्वी " मैन ऑफ द मैच " दिया गया ।
2019 विजय हजारे ट्रॉफी में मुम्बई की तरफ से खेलते हुए झारखंड के खिलाफ दोहरा शतक लगाया । यह कारनामा करने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी है । जायसवाल इसके बाद खुब चर्चा में आये , क्रिकेट के दिग्गजों ने इनकी खुब सराहना की ।
बहरहाल, भारतीय अंडर-19 टीम में चयनित होने के बाद कितना दबाव महसूस कर रहे हैं पूछने पर यशस्वी ने कहा आप क्रिकेट में मानसिक दबाव की बात कर रहे हैं? मैंने अपनी जिंदगी में कई वर्षों तक इसका सामना किया है। इन घटनाओं ने मुझे मजबूत बनाया है। रन बनाना महत्वपूर्ण नहीं। मुझे पता है कि रन बनाउंगा और विकेट लूंगा। मेरे लिए जरूरी यह है कि अगले समय का खाना मिलेगा या नहीं।
यशस्वी की एक और बड़ी बात यह है कि उन्होंने इतने दर्द सिर्फ इसलिए सहे ताकि उनके संघर्ष की कहानी कभी भदोही तक न पहुंचे, जिससे उनका क्रिकेट करियर खत्म हो जाए।
बकौल यशस्वी, मुझे वह दिन याद है जब बेशर्म बन गया था। मैं अपने दोस्तों के साथ खाना खाने जाता था। पता था कि मेरे पास रुपए नहीं है। मैं अपने दोस्तों को सीधे बोलता था कि पैसा नहीं है, भूख है। जब कोई टीम का साथी उन्हें छेड़ता है या मजाक उड़ाते हैं तो वह गुस्सा नहीं होते। यशस्वी का कहना है कि उन्हें बुरा इसलिए नहीं लगता क्योंकि उनके साथियों को कभी टेंट में सोना नहीं पड़ा, न ही पानी-पूरी बेचना पड़ा और न हीं उन्हें खाली पेट सोना पड़ता है।
अभी हाल ही में आईपीएल 2020 के ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स की टीम नें यशस्वी को 2.4 करोड़ में अपनी टीम का हिस्सा बनाया है।
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