भयानक हंसी, तेज तर्रार एक्शन, बड़ी बड़ी आँखे और सटीक डायलॉग डिलीवरी। जी हाँ हम बात कर रहे हैं रामायण के मेघनाद इंद्रजीत की यानी की विजय अरोरा जी की। हिन्दी सिनेमा के मंझे हुए कलाकारों में से एक कलाकार थे विजय अरोरा। बड़े से लेकर छोटे परदे तक उन्होंने अपनी कलाकारी का परचम लहराया था। उन्होंने यादों की बारात से लेकर रामायण जैसे लोकप्रिय फिल्मों एवं धारावाहिकों में अभिनय कर दर्शकों का दिल जीता। रामायण के 33 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इसी कड़ी में हम लाये हैं रामायण के किरदारों को निभाने वाले कलाकारों के जीवन की कहानिया। यानी की हम आपको परिचय करवा रहे हैं रामायण के कलाकारों से। राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान, और रावण के बाद हम बात कर रहे हैं मेघनाद इंद्रजीत की। इस किरदार को जीवंत किया था विजय अरोरा जी ने।
विजय जी का जन्म 27 दिसंबर 1944 में गांधीधाम में हुआ था। विजय जी का चेहरा मोहरा तो सुन्दर था फिर भी विजय जी को शुरू में फिल्म निर्देशकों ने कहा था की पहले एक्टिंग सीख कर आओ। उसके बाद विजय अरोरा जी ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से 1971 में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने इस वर्ष ग्रेजुएशन में गोल्ड मैडल पाया था।विजय ने एक्स मॉडल और मिस इंडिया दिलबर देबरा जी से विवाह किया था। विजय जी पंजाबी समुदाय से थे तो वहीँ उनकी पत्नी दिलबर देबरा जी पारसी समुदाय से हैं। उनके एक बेटा है जिसका नाम फरहाद विजय अरोड़ा है।
उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत एक अन्य नवोदित कलाकार रीना रॉय के साथ फिल्म 'जरूरत' से 1972 में किया था। इसी साल उन्होंने आशा पारेख के साथ 'राखी और हथकड़ी' में भी काम किया, लेकिन उनकी लोकप्रियता 1973 में फिल्म 'यादों की बारात' से मिली जिसमें वे जीनत अमान के अपोजिट थे। इस फिल्म ने इनके करियर को उचाईयों में पहुंचाया। इसके बाद 1974 में प्रवीण बॉबी के साथ '36 घंटे', 1975 में शबाना आजमी के साथ 'कादम्बरी', तनुजा के साथ 'इंसाफ', राजेश खन्ना के साथ 'रोटी', 1976 में बिंदिया गोस्वामी के साथ 'जीवन ज्योति' की, जो उस साल की सरप्राइज हिट थी। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में गंभीर रोल भी निभाएं जिसमें 1983 में आई बड़े दिलवाला, 1991 की 'जान तेरे नाम' और 2003 में आई 'इंडियन बाबू' भी शामिल है। विजय ने हिन्दी सिनेमा की लगभग हर दिग्गज अभिनेत्री के साथ काम किया, चाहे वो जया भादुरी हो या वहीदा रहमान। लेकिन फ़िल्मी दुनिया में राजनीती के चलते उनका करियर ढलान पर आ गया। एक समय था जब राजेश खन्ना जी और अमिताभ बच्चन जी के बाद अगर किसी का नाम लिया जाता था तो वो थे विजय अरोरा जी का। एक बार राजेश खन्ना जी ने कहा था की आने वाले समय में मेरी अगर कोई जगह ले सकता है तो वो है विजय अरोरा। लेकिन इस सफलता के बाद भी करियर ढलान पर जाने लगा। उस समय टेलीविज़न का जमाना शुरू हो चुका था। नए नए धारावाहिक सुर्खियां बटोर रहे थे। तब विजय जी ने टेलीविज़न धारावाहिकों में काम करना शुरू कर दिया।
80 के दशक में विजय ने छोटे पर्दे पर अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर खूब प्रशंसा बटौरी। उन्होंने 'रामायण' में 'मेघनाद इंद्रजीत' का रोल निभाकर इसे यादगार बना दिया। रामायण से पहले उन्होंने विक्रम और बेताल में भी काम किया था। उन्होंने 'भारत एक खोज' में 'बादशाह जहांगीर' की भूमिका भी निभाई। इसके बाद 2001 में 'लकीरें' और 'तलाश' धारावाहिकों में विजय ने काम किया। हिन्दी के अलावा गुजराती सिनेमा में भी विजय ने अपना लोहा मनवाया था। उन्होंने एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के साथ गुजराती फिल्म 'राजा हरीशचंद्र' में काम किया। इसके अलावा उन्होंने कई गुजराती नाटकों में भी भाग लिया।
विजय का एक्टिंग के अलावा खुदका एक सॉफ्टवेयर हाउस था, जो कॉर्पोरेट फिल्में और ऐड फिल्में प्रोड्यूस करता था। उनका पहला सीरियल एक तारा बोले अवार्ड विनर धारावाहिक था। उन्होंने जेम एंड ज्वैलरी से जुड़े इवेंट्स को भी काफी प्रमोट किया और इसके अलावा छात्रों में एक्टिंग स्किल्स डेवलप करने के लिए भी योगा और हेल्थ से जुड़े कार्यक्रमों में अपना योगदान दिया।
दुर्भाग्य से लंबे समय से आंत की बीमारी से जूझ रहे अभिनेता विजय का देहांत 2 फरवरी 2007 को उन्हीं के निवास स्थान पर हुआ। दुखद यह था की इनका निधन 62 वर्ष की उम्र में हो गया था। आखिरकार अपनी अभिनय प्रतिभा से सबको दिलों में गहरी छाप छोडऩे वाला ये अभिनेता दुनिया अलविदा कह गया।
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