90 के दशक की रामायण याद है! रामानंद सागर की वो ही रामायण जिसके टीवी पर आते ही सड़कें खाली हो जाती थी। लोग अपने-अपने टीवी सैटों के आगे बैठ जाते थे। उस ज़माने में इस शो की टीआरपी हवाई जहाज से भी तेज़ दौड़ती थी। आज के समय में भी जब बात रामानंद सागर की रामायण की आती है तो उसका एक-एक किरदार हमारे दिमाग में आ जाते हैं। राम-सीता, भरत, लक्ष्मण , हनुमान या फिर रावण, हर किरदार आज तक लोगों के ज़हन में बसा हुआ है।
ऐसा ही एक किरदार था रावण। रामानंद सागर की रामायण में रावण का किरदार अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi)जी ने निभाया था। रामानंद सागर की रामायण में काम करने वाले अरविन्द त्रिवेदी जी वाकई में एक ऐसे अभिनेता है जिन्होंने रावण के किरदार को कर के हमेशा हमेशा के लिए लोगों की आंखों में बस गए। इनके किरदार कि हर कोई तारीफ करता है। इनकी दहाड़ने की आवाज को कोई भूल नही सकता। वाकई में गरजती आवाज़ और पहाड़ सा शरीर वाले उस रावण की छाप अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) पर ऐसी पड़ी कि लोग आज भी उन्हें रावण के नाम से ही जानते हैं।
अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) जी का जन्म 08 नवंबर 1937 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था इनके पिता का नाम जेठालाल त्रिवेदी था। असल ज़िन्दगी में राम के भक्त अरविंद का बचपन मध्य प्रदेश के उज्जैन में बीता लेकिन वो गुजरात में ही पले बढ़े। इन्होने 12 वीं कक्षा तक पढाई मुंबई के भवंस कॉलेज से की थी। ये शाम को रामलीला देखने जाया करते थे। उन्हें रामलीला देखना बहुत ही पसंद था। इनके बड़े भाई जो उपेंद्र त्रिवेदी (Upendra Trivedi) गुजरती फिल्मों के जाने माने एक्टर थे। इनके बड़े भाई की तरह ही अरविंद त्रिवेदी जी ने भी एक्टर बनने का फैसला किया शुरुआती दिनों में ये अपने गली मोहल्ले में हो रही रामलीला में एक्टिंग किया करते थे। लोगों को इनकी एक्टिंग बहुत पसंद आती थी जब ये किसी भी किरदार को करते थे तो लोग तालियां बजाने से चूकते नहीं थे। अरविंद त्रिवेदी ने रंगमंच पर काफ़ी दिनों तक काम किया। रंगमंच पर उन्होंने अच्छा नाम कमाया था।
इसके बाद इनको अपनी मेहनत और लगन के दम पर गुजराती फिल्मों में काम करने का मौका मिल गया. इन्होने बहुत सी गुजराती फिल्मों में काम किया ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने विलन का काम किया। इसके अलावा उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। अगर हिंदी और गुजरती फिल्मों को जोड़ें तो इन्होने करीब 300 फिल्मों में काम किया। अभिनय में डूबे होने के बावजूद इन्हे ऐसा लगता था जैसे कुछ अधूरा-सा है। इनका विवाह वर्ष 1966 में नलिनी जी के साथ हुआ। इनके तीन लड़कियां भी हैं।
सन 1985-86 की बात है। इन्हे पता चला कि निर्देशक रामानंद सागर रामायण बना रहे हैं और वे उसके लिए मुख्य किरदारों की तलाश में हैं। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न उनसे मिला जाए? वो उनके पास गए । उन्होंने पूछा, “रामानंद जी सुना आप रामायण बनाने जा रहे हैं?” वह बोले, “हां, तैयारियां शुरू हो चुकी है।” अरविन्द जी ने कहा, “मैं भी इसमें काम करना चाहता हूं। मेरे लिए कोई किरदार हो तो बताएं।” रामानंद जी ने एक पल भी देर न करते हुए उनसे पूछा कि वो कौन-सा किरदार करना चाहते हैं। वो सोंच में पड़ गए । रामायण के सभी किरदार अपने-अपने रूप में महत्वपूर्ण थे। उन्हें केवट का ध्यान आया। सभी जानते हैं कि केवट रामभक्त था। उसी तरह वो भी बड़े रामभक्त थे। उनके लिए भी श्रीराम से बढ़कर कोई नहीं हैं। रामायण में केवट ने राम और सीता को गंगा पार करने में मदद की थी और श्रीराम के चरण स्पर्श का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्हें यही किरदार करना था, तो बस उन्होंने तपाक से कहा कि उन्हें केवट का किरदार निभाना है।
रामानंद जी कुछ नहीं बोले। बस उन्होंने इतना कहा कि तुम कल आ जाओ। अगले दिन वो सेट पर पहुंचे तो देखा 300 से भी ज्यादा लोगों का जमावड़ा लगा है। पूछने पर पता चला कि लंकापति रावण के किरदार के लिए ऑडिशन चल रहा है। उन्होंने रामानंद सागर जी के स्टाफ को बताया कि मुझे केवट के किरदार के लिए रामानंद जी ने बुलाया था। वह बोला, "इस ऑडिशन के बाद आपको बुलाया जाएगा।" वो भी एक जगह बैठ गए। अच्छे-खासे लंबे-चौड़े लोग रावण के किरदार के लिए ऑडिशन देने आए थे। सबका ऑडिशन होने के बाद उन्हें बुलाया गया। उन्होंने अरविंद जी को एक स्क्रिप्ट दी। उसे पढ़ने के बाद वो अभी कुछ कदम ही चले थे कि रामानंद जी ने खुशी से चहकते हुए कहा, "बस, मिल गया मुझे मेरा लंकेश। यही है मेरा रावण।" वो चौंककर इधर-उधर देखने लगे कि उन्होंने तो कोई डायलॉग भी नहीं बोले और यह क्या हो गया? जब उन्होंने उनसे पूछा, तो वह बोले, "मुझे मेरा रावण ऐसा चाहिए, जिसमें सिर्फ शक्ति ही न हो, बल्कि भक्ति भी हो। वह विद्वान है, तो उसके चेहरे पर तेज हो। अभिमान हो और मुझे सिर्फ तुम्हारी चाल से ही यह विश्वास हो गया कि तुम इस किरदार के लिए सही हो।"
रामानंद जी जल्द ही किसी को गले नहीं लगाते थे, लेकिन यह कहते ही उन्होंने अरविन्द जी को गले से लगा लिया, जो उनके लिए सौभाग्य की बात थी। रावण के इस किरदार को और रामायण को कालजयी बनाने में रामानंद जी को ही सारा श्रेय जाता है। वो लोगों के लिए अरविंद त्रिवेदी नहीं, लंकापति रावण हो गए थे। उनके बच्चों को लोग रावण के बच्चे और उनकी पत्नी को मंदोदरी के नाम से पुकारने लगे थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रावण का किरदार निभाकर वो इतना मशहूर हो जायेंगे। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेश में भी लोग उन्हें जानेंगे। उनका नाम याद रखेंगे, उन्होंने कभी नहीं सोचा था। जिस दिन सीरियल में रावण मारा गया था, उस दिन उनके इलाके में लोगों ने शोक मनाया था।
जब भी वो कार्यक्रमों में गए तो यही पाया कि लोगों के दिलों में रावण के चरित्र की कितनी इज्जत है। लोग आज भी रावण को विद्वान मानते हैं। आज भी दक्षिण में लोग रावण के नाम पर अपना नाम रखते हैं। रावण ने तो राम के जरिए अपने पूरे कुनबे को मोक्ष दिलाया। अगर रावण आत्मकेंद्रित होता तो खुद हिरण बनकर मोक्ष प्राप्त कर लेता। रावण काफी उसूलों वाला इंसान था, वह घोर तपी और नियमों को मानता था। अहंकार को छोड़कर रावण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। रामायण के आलावा इन्होने विक्रम और बेताल, ब्रह्मऋषि विश्वामित्र, त्रिमूर्ति, आज की ताज़ा खबर, जंगल में मंगल, पराया धन, देश रे जोया दादा प्रदेश जोया, ढोली जैसी अनेको टीवी सीरियल्स और फिल्मों में काम किया था।
रामायण सीरियल के खत्म होने के कुछ समय बाद ये राजनीति में चले गये। वर्ष 1991 में ये भारतीय जनता पार्टी की और से सांसद भी बने और इस तरह से अपने फेमस सीरियल रामायण के बाद इन्होने हमेशा हमेशा के लिए एक्टिंग को छोड़ दिया। मूल रुप से इंदौर से ताल्लुक रखने वाले अरविंद लंका नरेश के रोल में ऐसे खपे की रामायण के इतर भी उन्हें खलनायकों के रोल मिलने लगे। उस समय अपनी कद-काठी, भारी आवाज़ से लोगों के दिलों में राज करने वाले टीवी के रावण अरविंद त्रिवेदी अब काफ़ी कमजोर हो गए हैं। 80 साल के हो चुके अरविंद अब ज़्यादातर समय घर पर ही रहते हैं। वो रावण का चेहरा और आज के अरविंद त्रिवेदी का चेहरा बिलकुल बदल चुका है। जिन लोगों को उनका रावण का रूप याद है वो इन्हें अब पहचान भी नहीं पाएंगे।
1 टिप्पणियाँ
श्री अरविंद त्रिवेदी जैसा किरदार जन्म जन्मांतर तक इस हिंदुस्तान को कभी नही मिल सकता, धन्य है आप धन्य है आपके माता पिता
जवाब देंहटाएंनमन करता हूं आपको 🙏🙏