जैसा की आप सब जानते हैं इस समय चर्चा में हैं 90 के दशक के सुप्रसिद्ध धारावाहिक। रामायण ने इतने वर्षों बाद भी पुनः प्रसारण के दौरान टीआरपी के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। आज भी रामायण , महाभारत , श्री कृष्णा और अलिफ़ लैला जैसे सुप्रसिद्ध धारावाहिक चर्चा में हैं। हमने टीवी धारावाहिकों रामायण, महाभारत, श्री कृष्णा और अलिफ़ लैला के काफी सारे अभिनेताओं के जीवन पर रोचक वीडियोस बनाकर आप सब को उनसे अवगत कराया है। दोस्तों आज हम बात करेंगे उस कलाकार के बारे में जो किरदार करते समय उसमे पूरी शिद्दत के साथ लीन हो जाता है। हम बात करने जा रहे हैं रामानंद सागर कृत श्री कृष्णा के सुदामा और शिरडी के साई बाबा के किरदार को निभाने वाले कलाकार के बारे में।
रामानंद सागर कृत श्री कृष्णा धारावाहिक में सुदामा (Sudama) और अश्वत्थामा (Ashwatthama) और सिरडी के साई बाबा (Sai Baba) धारावाहिक में साई बाबा के किरदार को जिवंत किया था अभिनेता मुकुल नाग जी (Mukul Nag) ने।
मुकुल नाग (Mukul Nag) जी का जन्म 25 अक्टूबर 1961 को हुआ था। उनके पिता जी का नाम सुकुमार नाग और माता जी का नाम अमिता नाग है। उनका बचपन अपनी नानी के यहाँ मेरठ में गुजरा है। जब वह 12 वर्ष के थे तब उन्होंने खुद ही एक प्ले निर्देशित किया था जिसका नाम था तैमूर और बालक। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वो दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय में डिप्लोमा किया। मुकुल नाग जी भारत के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक थे। डिप्लोमा पूरा करने के बाद उन्होंने बहुत सारे थिएटर ग्रुप ज्वाइन किये और प्ले किये। इसी दौरान उनको प्ले के एक डायरेक्टर ने फिल्मों में कोसिस करने के लिए कहा जिसके चलते ये मुंबई आ गए।
यहाँ उन्हें पापाजी यानी की रामानंद सागर जी ने श्री कृष्णा में भक्त सुदामा का किरदार निभाने को कहा। श्री कृष्णा धारावाहिक में मुकुल जी ने 3 किरदार निभाए हैं सुदामा का किरदार, दूसरा ब्राह्मण का किरदार और तीसरा अश्वत्थामा का किरदार। ये तीनो ही किरदार उन्होंने बखूभी निभाए। यहाँ से उनके काम को सम्मान मिला और इसी के चलते उन्हें सिरडी के साई बाबा में साई बाबा का मुख्य किरदार मिला। श्री कृष्णा और सिरडी के साई बाबा दोनों ही धारावाहिक को प्रोडूस किया था रामानंद सागर जी ने। जहाँ धारावाहिक श्री कृष्णा 1994 में तो वहीँ धारावाहिक शिरडी के साई बाबा 2003 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। ये उनके काम और लगन का नतीजा था। शिरडी के साई बाबा धारावाहिक से उन्हें जबरदस्त पहचान मिली। अब बात करते हैं की उन्हें ये किरदार मिले कैसे।
सबसे पहले बात करते हैं भक्त सुदामा जी के किरदार की तो जब इन्हे सुदामा का किरदार मिला तो ये हंस पड़े क्योंकि सुदामा तो दुबले पतले थे और ये हस्टपुस्ट थे। इन्हे लगा पता नहीं सुदामा का किरदार निभेगा भी या नहीं। आख़िरकार इन्होने सुदामा के किरदार के लिए हामी भरी। जिस समय इनको ये किरदार करना था उस समय इनके सिर के बाल बड़े बड़े थे। जब इनको तैयार किया गया शूटिंग के लिए इन्हे वह लुक पसंद नहीं आया। ये बिना किसी को बताये गंजे होकर आ गए। गंजे होकर वापिस पहुंचे तैयार होने। पहनने को जो धोती मिली वो धुली हुई थी। इनको लगा सुदामा जी तो गरीब थे। तो इन्होने उस धोती को जमीन में रखकर अपने पैरों से रगड़ रगड़ के गन्दा कर दिया। और उसके बाद जब ये तैयार होकर सेट पर पहुंचे तो मोती सागर जी को लगा कोई भिखारी अंदर आ गया है। उन्होंने बोला ये भिखारी अंदर कैसे आया इसे बाहर निकालो। फिर जब उन्हें पता चला की ये तो मुकुल नाग जी है तो वो हँस पड़े। इस प्रकार से उन्होंने सुदामा का किरदार किया और फिर अश्वत्थामा का।
अब बात करते हैं साई बाबा के किरदार की तो मुकुल नाग ने साई लीला टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था की पापाजी यानी की रामानंद सागर जी ने साई बाबा का किरदार देने से पहले मुझ से पूछा था की कैसे कर रहे हो इस किरदार को इसके उत्तर में मुकुल जी ने कहा की मैं अपने काम को पूरी श्रद्धा के साथ पूरा करूँगा। साई बाबा के किरदार के लिए इन्हे करीब 4 बार ऑडिशन और 3 बार लुक टेस्ट देने पड़े थे। वो साई बाबा के जीवन से जुडी सारी पुस्तकें पढ़ चुके थे। उनको अपने जीवन में पूरी तरह से उतार लिया था। बार बार ऑडिशन से उन्हें लग रहा था की पता नहीं उन्हें ये किरदार मिलेगा भी या नहीं। आते जाते रास्ते में एक साईं मंदिर पड़ता था। वहां वो रोज प्रार्थना करते थे की ये किरदार करवा दो। कभी बोलते ये किरदार तो मैं ही करूँगा। साई बाबा का सेट बड़ोदा में लगा था। जब पहला टेक होना था तो उसमे बहुत समय लगा और जब पहला टेक फाइनल हुआ तो कैमरामैन भी उनके अभिनय को देख कर रो पड़ा। यहाँ से उन्हें और हिम्मत मिली और पूरा धारावाहिक सम्पूर्ण हुआ।
इसी दौरान उन्होंने 1997 में प्रसारित हुए ब्योमकेश बक्शी टीवी धारावाहिक में उन्होंने एपिसोड सही का कांटा में प्रबल गुप्ता का किरदार निभाया था। बॉलीवुड में उन्होंने काफी सारी फिल्मे की हैं जैसे वर्ष 2005 में अपहरण, वर्ष 2003 में सत्ता, वर्ष 2002 में कंपनी, वर्ष 1999 में मस्त, वर्ष 1998 में हज़ार चौरासी की माँ, वर्ष 2015 में फैंटम , 2003 में गंगाजल, सुभाष चंद्र बोष इत्यादि।
मुकुल नाग जी का खुद का प्रोडक्शन हाउस भी है। वो अपने बैनर के तले ज़र्ब प्रहार शब्दों का नामक फिल्म बना चुके हैं। जिसके लिए वर्ष 2017 में NMIFF और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ प्रयाग की तरफ से उन्हें बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का अवार्ड भी मिल चुका है।
श्री मुकुल नाग एक भारतीय अभिनेता हैं। उन्हें बेहतरीन कलाकारी के लिए जाना जाता है। बात करें अगर निजी जीवन की तो इन्होने इंदिरा मिश्रा जी से विवाह किया। इस विवाह से इनके दो लड़कियां भी है जिनके नाम पाखी नाग और प्रियम्बदा नाग है। आस्था की बात करें तो उनके आराध्य श्री कृष्ण हैं लेकिन उनका जीवन साई बाबा से भी प्रभावित हैं और उन्हें भी अपनी जिंदगी में उतार चुके हैं।
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