1987 रामायण के कालनेमि गीत के Singer and Actor Rajendra Jain Biography in Hindi

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किथे से आवे किथे को जावे बाबा ने सब बेरा रे। इस गीत के तो आप भी दीवाने होंगे और हों भी क्यों न आखिर रामायण के सभी गीतों में इस गीत को आपके प्यार ने शीर्ष स्थान जो दिया। इस गीत से वीडियो की शुरुआत करने का कारन तो आप जानते ही होंगे। 1987 के रामायण धारवाहिक में बहुत से ऐसे गायकों ने गीत गाये जिनके नाम भी लिस्ट में नहीं दिए गए। ये दर्शकों का प्यार है जो उन गीतों को याद कर गायकों को नमन कर रहे हैं और हमें भी उन गायकों के जीवन पर वीडियो बनाने में प्रेरित कर रहे हैं। हमारे पास लगातार आप लोग कमेंट के माध्यम से हमसे अनुरोध कर रहे थे उन गायकों के जीवन पर वीडियो बनाने के लिए। आपके अनुरोध पर आज हम 90 के दसक के एक बेहतरीन नायाब हीरे के बारे में बात करेंगे। जिसने रामायण में गायन करके रामायण धारावाहिक में जान तो फूंकी ही साथ ही साथ धारावाहिक में अभिनय भी किया। बात केवल रामायण तक सीमित नहीं है अगर आप उनके जीवन के बारे में जानेंगे तो और भी आश्चर्यचकित रह जायेंगे। लेकिन दुःख इस बात का है की इतना सब होने के बाद भी रामायण धारावाहिक के आखिर में क्रेडिट देते समय उनका कही नाम नहीं दिया गया। इनके के बारे में सब जानना चाहते हैं लेकिन कहीं कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। कमेंट के माध्यम से हमें लगातार मैसेज मिल रहे थे की उनके बारे में बताएं जिन्होंने कालनेमि वाला गीत गाया था। इस गीत को गाया था श्री राजेंद्र जैन जी ने। राजेंद्र जैन जी के बारे में बताने से पहले हम उनके पुत्र अभिनय जैन जी और उनकी पुत्रवधु श्रीमती तरन्नुम जैन जी का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमसे ये जानकारियां साझा की। वीडियो के अंत में कुछ फोटो गैलरी दिखाई जाएगी जिसे देखना बिलकुल ना भूलें। इसे देख कर आपको पता चलेगा की इन कलाकार का दर्जा कितना बड़ा था।

 

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श्री राजेंद्र जैन जी का जन्म 2 जनवरी 1952 में कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री के. एल. जैन और माता का नाम श्रीमती राजमती जैन था। पिता जी बिजनेसमैन थे और स्टेज परफॉरमेंस के खिलाफ थे। उन्होंने कत्थक से M.A. किया था। श्री राजेंद्र जैन जी ने श्रीमती मीना जैन जी से विवाह किया। इस विवाह से उनके एक बेटा है जिनका नाम अभिनय जैन हैं इनका विवाह तर्रनुम जैन जी से हुआ है। दोनों ही गायक और संगीतकार हैं। अभिनय जी बॉलीवुड में संगीत निर्देशन करते हैं साथ ही उनकी एक कंपनी है अभिनय एंटरटेनमेंट के नाम से जिसमे जिसमें लता मंगेशकर जी, अनुराधा पौडवाल जी, अनूप जलोटा जी, सुनिधि चौहान जी जैसे सुप्रसिद्ध गायकों ने गाया है। देखिये राजेंद्र जैन जी और उनके पुत्र अभिनय जैन जी का वीडियो जिसमे वो रविंद्र जैन जी के सामने गायन कर रहे हैं। 

राजेंद्र जैन जी के परिवार में दूर दूर तक संगीत के छेत्र से किसीका कोई सम्बन्ध नहीं था। यहाँ तक की उन्होंने संगीत की भी कोई शिक्षा नहीं ली थी। जिस समय इन्होने इस छेत्र में कदम रखा उस समय संगीत और नृत्य को बहुत अच्छा दर्जा नहीं दिया जाता था। उन्हें संगीत का शुरू से ही शौक़ था। 8 से 9 साल की उम्र में इन्होने परफॉर्म करना शुरू किया था। लोगों ने पसंद भी किया और उन्हें सम्मान के रूप में गोल्ड मैडल मिलने शुरू हो गए। उनका पहला पर्फ़ॉर्मन्स 1964 में हुआ था। वो एक  live performer थे जिसमें वे भजन गाते हुए अभिनय  करते थे , यह trend उनका ही शुरू किया हुआ है। इसके पहले सिर्फ़ हार्मोनीयम और तबला पे भजन किया जाता था या किशोर और मोहम्मद रफ़ी के नाइट्स होते थे। उस समय उन्होंने दो फ़िल्में भी की थी जिसमें से एक में राकेश रोशन भी थे। पर क्यूँकि वो फ़िल्में बीच में बंद हो गयी जिसके वजह से उनका मन बदल गया और उन्होंने भजन, folk में अपनी मास्टरी करने का ठान लिया। फिल्म बीच में बंद हो जाने का किस्सा मायानगरी में नया नहीं है। और भी गायक हैं जो इस समस्या से जूझ चुके हैं। उनके बारे में हम अगले वीडियो में बताएँगे। 

अब आप सोच रहे होंगे जिन्होंने फिल्मो में गाने नहीं गाये वो रामायण धारवाहिक में गायन और अभिनय तक कैसे पहुंचे। तो चलिए वो किस्सा भी आप को बताते हैं। श्री राजेंद्र जैन जी गायन के अलावा कम्पोज़िंग, लिरिक्स, बैलेज़, किताबें भी लिखते अथवा निर्देशन करते थे। जब दादू रविंद्र जैन जी स्ट्रगल के दौरान अलीगढ से  कोलकाता आये तो वो एक विद्यालय में संगीत की शिक्षा देते थे। यहीं कोलकाता में राजेंद्र जैन जी की भेंट हुई दादू जी से। इसके बाद रविंद्र जैन जी और राजेंद्र जैन जी निरन्तर मिलते रहे और दोनों भाई दोस्त से भी बढ़कर हो गए। दादू रविंद्र जी की लेखनी से प्रभावित होकर राजेंद्र जैन जी ने उन्हें अपना गुरु मान लिया। रविंद्र जैन जी इन्हे अपना प्रतिबिम्ब बताते थे। कुछ समय बाद जब दोनों संगीत के छेत्र में स्थापित हो गए तब लोग इन्हे रविंद्र जैन-राजेंद्र जैन नाइट के लिए दोनो को साथ बुलाया करते थे। दोनों परिवारों के सम्बन्ध आज भी उतने ही मजबूत हैं। आइये देखते हैं श्री राजेंद्र जैन जी और रविंद्र जैन जी के एक गीत की झलक। 

राजेंद्र जैन जी को रामायण में गाने का और अभिनय का मौका रविंद्र जैन जी के कारण ही मिला था। उन्होंने मौका मिलते ही अपने गायन और अभिनय से दर्शकों के मन में अमिट छाप छोड़ी। रामायण में राजेंद्र जैन जी ने कालनेमि गीत के साथ साथ और भी गीत गाये थे जैसे मेघनाद और लक्ष्मण जी के युद्ध के समय के गीत। रामायण के अलावा उन्होंने श्री कृष्णा, जय गंगा मैया जैसे धारवाहिकों में भी अपनी आवाज दी। रामायण में उन्हें और भी किरदार मिले थे लेकिन समय की व्यस्तता के चलते उन्होंने और अभिनय करने से मना कर दिया था। उनकी बिल्हौरि आँखे थी जिसके चलते लोग कालनेमि के किरदार के पीछे संजय जोग जी को समझते थे क्योंकि उनकी भी आँखें बिल्हौरि थी। रामायण के बाद उन्होंने श्री गणेश धारावाहिक में भी अभिनय किया जो की सोनी टीवी पर वर्ष 2000 में प्रसारित होता था इसके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक जगद्गुरु शंकराचार्य में इन्होने भगवान् शिव का किरदार निभाया था। फिल्म की बात करें तो उन्होंने भोजपुरी फिल्म चंपा चमेली में  अभिनय किया है। सुप्रसिद्ध जैन महामंत्र नमोकार आप ने जरूर सुना होगा यहाँ तक की कॉलर टुन आदि में भी आपको सुनने को मिलेगा। महामंत्र नमोकार भारत रत्न लता मंगेशकर जी द्वारा गया हुआ है जिसे श्री राजेंद्र जैन जी ने अपने संगीत निर्देशन में ही रिकॉर्ड करवाया है। उन्होंने बहुत सारे प्ले में भी भाग लिए जैसे रामायण, श्री कृष्णा चरितं , शिव गौरी विवाह प्रसंग , जय दादी की , नानी बाई को मायरो इत्यादि। लेखन में उन्होंने रामायण - थिएटर इन इंडिया , नारायणी मंगल पाठ , जीन चरित मानस जैसी पुस्तके भी लिखी हैं। श्री भारतीय लोक कला केंद्र , कोलकाता के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। स्वर्गीय राजीव गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए बलिदान शीर्षक के साथ इन्होने एक एल्बम भी बनाया था।  

उन्होंने कभी अपने आप को फ़िल्मी दुनिया के हवाले नहीं किया। कोख , वज्रघात , जय मैहर देवी जैसी फिल्मो के लिए गायन किया है लेकिन उसके बाद भी मुंबई की जादूनगरी उन्हें रास नहीं आती। इसीका नतीजा है की उन्होंने फिल्मो में गीत न गाते हुए भी करीब 6000 से भी ज्यादा गीत रेकॉर्ड किये। उनके गीत अभिनय एंटरटेनमेंट नमन नामक यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है जिसका लिंक आपको हमारे वीडियो के डिस्क्रिप्शन में भी मिल जाएगा। साथ ही साथ सारे म्यूजिक प्लेटफॉर्म्स पर भी उनके गीत आपको मिल जाएंगे। 

पुरस्कारों की बात करें तो उन्हें राष्ट्रपति भवन से लेकर यूनाइटेड नेशन तक सम्मान मिला। श्री राजेंद्र जैन जी 3 बार राष्ट्रपति अवार्ड के विजेता हैं। सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी उनके अनगिनत स्टेज परफॉरमेंस हुए और सब में उन्हें सम्मान भी मिला। उन्हें जो अवार्ड्स प्राप्त हुए उनकी लिस्ट बहुत लम्बी है। इसलिए वीडियो के बाद उन अवार्ड्स की कुछ झलकियां आपको देखने को मिलेंगी। आपको दुःख के साथ सूचित के करना पड़ रहा हैं श्री राजेंद्र जैन जी अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन गीतों और आपके प्यार के रूप में उनकी यादें हमारे बीच में हैं। 2 जून 2010 को मुंबई में उनका निधन हो गया था। अब उन अवार्ड्स की झलकियां जिनका हम जिक्र कर रहे थे। 

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