90 के दशक के रामायण, महाभारत जैसे धारवाहिकों के बाद श्री कृष्णा और अलिफ़ लैला धारावाहिक ने भी खूब नाम कमाया। हम आपको लगातार जानकारी दे रहे हैं उस समय के कलाकारों के बारे में जो इन धारवाहिकों में थे। उनका अभिनय खूब पसंद भी किया गया। लेकिन उस समय आज के जैसा नेट या मोबाइल नहीं थे की एक क्लिक में सब जानकारी मिल जाए। इस कारण से उनके उस किरदार के पीछे के अभिनेता को लोग पहचान नहीं पाए। आज हम इसी क्रम में आपको परिचय करवाएंगे उस अभिनेत्री के जीवन परिचय से जिन्होंने श्री कृष्णा में देवकी और अलिफ़ लैला में शाहजमानी का किरदार निभाया था। इन किरदारों को निभाने वाली अभिनेत्री का नाम है पोल्लुमि मुखीर्जी (Paullumi Mukheerjee) वर्तमान में ये फेसबुक पर भी हैं।
पोल्लुमि मुखीर्जी (Paullumi Mukheerjee) का जन्म 5 सितम्बर को हुआ था। इनके जानने वाले इन्हे प्यार से पोलू कह के बुलाते हैं। इनके पिताजी डॉक्टर थे और माताजी वकील थे और वो रशियन भाषा भी जानती हैं। पोल्लुमि मुखीर्जी को नेचर और एनिमल्स से बहुत प्यार है। वो भारतीय कला और फिल्म में एवं संस्कृत में डिप्लोमा कर चुकी हैं। उन्होंने तबला भी सीखा हुआ है। उन्होंने कत्थक पर २ किताबें भी लिखी हैं। परफार्मिंग आर्ट में उन्होंने मास्टर्स किया हुआ है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा अभिनय से कही ज्यादा रूचि उनकी कत्थक नृत्य में रही है। पहले बात करते हैं इनके अभिनय के दुनिया की। पोल्लुमि मुखीर्जी (Paullumi Mukheerjee) की अभिनय के छेत्र में शुरुआत हुई थी रामानंद सागर जी के श्री कृष्णा धारावाहिक से। इस धारावाहिक में इन्हे भगवान् श्री कृष्ण की माँ देवकी का किरदार निभाना था। इस किरदार के लिए सबसे पहले इन्होने नटराज स्टूडियो में अपनी फोटो भेजी थी। वहां से जब इन्हे बुलावा आया तो ये बिना मेकअप के गयी थी। उन लोगों ने सोचा जिसकी ये फोटो है ये इनकी बहन हैं। उन्होंने बोला की आपकी बहन काफी सुन्दर है। पोल्लुमि मुखीर्जी (Paullumi Mukheerjee) ने बताया की ये उनकी खुद की फोटो है। उसके बाद 250 से 300 लड़कियां थी इस किरदार के लिए। लेकिन ये किरदार पोल्लुमि मुखीर्जी (Paullumi Mukheerjee) को ही मिला। डॉ. रामानंद सागर जी ने कहा था अपनी टीम से की देवकी का किरदार अगर कोई करेगा तो वो सिर्फ ये लड़की (Paullumi Mukheerjee) ही करेगी। इस किरदार को करते समय ये मात्र 16 वर्ष की थी। इस किरदार से उन्हें पहचान मिली और उन्हें फिर अलिफ़ लैला में शाहजमानी का किरदार मिला। इन्होने अलिफ़ लैला के बाद चाणक्य, संसार, मिलान महल, चाणक्य जैसे सुप्रसिद्ध धारवाहिकों में काम किया। उन्होंने ड्रामा में भी परफॉर्म किया है जैसे ज़रा मुस्कुरा दो, कुसुम मनोहर लेले और किसकी बीवी किसका शौहर आदि। इसके अलावा उन्होंने प्रिंट एड्स में भी काम किया है।
अब बात करते हैं इनके नृत्य की लगाव की। इन्होने महज 4 वर्ष की उम्र में ही कत्थक नृत्य सीखना शुरू कर दिया था। पोल्लुमि मुखीर्जी लखनऊ के सुप्प्रसिद्ध घराने के स्वर्गीय श्री लच्छू महाराज जी की धर्मपत्नी गुरु रामदेवी जी की शिष्या हैं। उन्होंने लखनऊ घराने के स्वर्गीय गुरु लच्छू महाराज जी की विरासत की मसाल उठाई हुई है।
उन्होंने नृत्यदर्पण फाउंडेशन नाम से दादर मुंबई में स्कूल खोला है जहाँ कत्थक सिखाया जाता है। उनकी गुरु स्वर्गीय श्रीमती रमादेवी लच्छू महाराज उस संसथान की अध्यछ थी। उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय नयी दिल्ली की तरफ से नेशनल स्कालरशिप भी मिल चुकी है। उन्हें नृत्य विशारद और नृत्य अलंकार की उपाधि भी मिल चुकी है। उन्हें मेडम मेनका अवार्ड, रुक्मिणी अरुंदले अवार्ड, पंडित जसराज अवार्ड , सिंगार मणि अवार्ड, तरंगा पद्मा अवार्ड और संत सर्वदान्य दासोपंत नृत्य रत्न अवार्ड जैसे प्रसिद्ध पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने काफी सारे त्योहारों पर परफॉरमेंस दी है साथ ही यूरोप और USA में भी परफॉर्म किया है। उन्होंने फैकल्टी के तौर पर भारत कॉलेज ऑफ़ परफार्मिंग आर्ट्स में सेवा दी हैं। पोल्लुमि मुखीर्जी ने अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल मिराज महाराष्ट्र और खीरगढ़ यूनिवर्सिटी की मान्यता प्राप्त परीक्षक भी रह चुकी हैं।
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