1987 धारवाहिक रामायण का गीत भरत चला रे अपने राजा को मनाने तो आपको भलीभांति याद होगा। याद हो भी क्यों ना आखिर इतना प्यारा भजन जो था। इस गीत में झलकती भरत जी की मनोदशा को अपने स्वर से जिन्होंने जीवंत किया उनका नाम है शेखर सेन। आज हम बताएँगे शेखर सेन जी के बारे में। आप लोगों से अनुरोध है चैनल पर नए हों तो चैनल को सब्सक्राइब कर लें। वीडियो अच्छी लगे तो लाइक और शेयर जरूर करें।
16 फरवरी 1961 को छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में बंगाली परिवार में जन्मे शेखर सेन जी गायक, संगीत निर्देशक, गीतकार, नाटककार और अभिनेता भी हैं। इनके पिता का नाम डॉ. अरुण कुमार सेन और माता का नाम डॉ. अनीता सेन है। गायक बनने का पूरा श्रेय इनके माता पिता को ही जाता है। माता पिता दोनों ही सुप्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक, संगीतकार और कवी थे। शेखर जी ने नृत्य, सितार, वायोलिन भी सीखा है। 7 साल की उम्र में उन्होंने पहली गजल लिखी थी। गजल लिखने का कारण जानकर आप हैरान रह जायेंगे। उनका एक पेट था जो की अचानक से एक दिन मर गया। वो उसे प्यार बहुत करते थे और इसी गम में उन्होंने ये गजल लिखी थी।धुन, भावना, लय, सामंजस्य की निराली दुनिया में उनकी अपनी स्वयं की रचनात्मकता उन्हें 1979 में मुंबई ले आयी। यहाँ वो फिल्मो में म्यूजिक डायरेक्टर बनना चाहते थे। उन्होंने शुरुआत में दो फिल्मो में गीत भी निर्देशित किये लेकिन उनकी दोनों फिल्मे रिलीज़ नहीं हुई। जिसके कारण से उनकी अनलकी मानकर उन्हें और फिल्मे नहीं मिली। ऐसा कुछ किस्सा राजेंद्र जैन जी के साथ भी हुआ था जिसे हमने पिछली वीडियो में बताया था। उन्होंने भजनो से शुरुआत की। करीब 250 के आस पास एल्बम उन्होंने रिकॉर्ड किये। उनके हर एक गीत का अर्थ हैं। कोई भी गीत धुन में नहीं है जैसे राम राम राम आदि। उन्होंने हिंदी साहित्य के आधार पर रचनात्मकता और मौलिकता के साथ वर्ष 1984 से उन्होंने सिंगिंग कंसर्ट्स परफॉर्म करने शुरू किये। 1984 में उन्होंने पहला कार्यक्रम दुष्यंत की गजलों पर किया था। संगीत अकादमी के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
शेखर सेन जी ने वर्ष 1983 से अब तक 250 से ज्यादा संगीत एल्बम रिलीज़ किये हैं जिसमे उन्होंने अपनी विभिन्न छमता दिखाते हुए गायक के तौर पर, गीतकार के रूप में, संगीतकार के रूप में उन्होंने काम किया। उन्होंने बहुत सारे टीवी धारावाहिकों में गीत गाये भी और कंपोज़ भी किये। इसके अलावा उन्होंने देश विदेश में भी बहुत सारे सिंगिंग कॉन्सर्ट किये हैं।
वर्ष 1998 से उन्होंने नाटककार, अभिनेता, गायक, निर्देशक, और संगीतकार के रूप में काम किया है। उन्होंने काफी शोध के बाद संगीतमय नाटक तुलसी , कबीर , विवेकानंद, साहब और सूरदास लिखे और उनपर अभिनय करके अपना हुनर, संवेदनशीलता, अंतरात्मा की ताकत प्रदर्शित की जिसके लिए उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान मिला।
शेखर सेन जी को अपने श्रोताओं से भरपूर प्यार मिला है। अवार्ड्स की बात करें तो उन्हें अनेको अवार्ड्स मिले हैं। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मा श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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