एक सुंदर व्यक्तित्व और खुशमिजाज चेहरा जिसने श्री कृष्णा धारावाहिक में महर्षि गर्ग का दमदार किरदार निभा कर सहज में ही सबका ध्यान अपनी और आकर्षित किया था। नमस्कार स्वागत है आप सब का लेखक की लेखनी में। चैनल को अब तक सब्सक्राइब नहीं किया है तो जल्दी से करें और ऐसे और वीडियो लाने के लिए हमें सपोर्ट करें। वीडियो को लाइक भी करें और कमेंट कर के जरूर बताएं आपको वीडियो कैसा लगा।
श्री रामानंद सागर जी द्वारा निर्मित श्री कृष्णा धारावाहिक में महर्षि गर्ग का किरदार निभाया था अभिनेता रविराज ने। अभिनेता रविराज का जन्म वर्ष 1942 में कर्नाटक के मंगलोर शहर में हुआ था। उनका असली नाम रवींद्र अनंत कृष्ण राव है। लेकिन फ़िल्मी दुनिया ने इन्हे प्यार से रविराज कह के पुकारा। यही से इनका नाम रविराज हो गया। जब वह नौ महीने के थे तभी उनके पिता परिवार समेत काम के लिए मुंबई आ गए। मुंबई के सेठ DGT हाई स्कूल और DG रूपारेल कॉलेज मुंबई से बीएससी पूरी कर अपनी शिक्षा पूरी की। ये जब 5 वर्ष के थे तब से ही थिएटर करने लगे थे। वे करीब 25 सालों तक मराठी, हिंदी, गुजराती फिल्मों फिल्मों में सक्रिय रहे। एक्टिंग के प्रति प्यार के चलते उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी। उनकी निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने उषा जी से विवाह किया था। उनके एक बेटा और एक बेटी भी हैं।
उनकी अभिनय की बात करें तो शूरा में वंदिले उनकी पहली मराठी फिल्म है तो वहीँ 'आहट' हिंदी में उनकी पहली फिल्म है। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं रही लेकिन उसके बाद की फिल्में अचानक, जवाई विकट घने आय जैसी फिल्मे चल पड़ी। इसी दौरान उन्होंने श्री कृष्णा धारावाहिक में महर्षि गर्ग का किरदार निभा कर सबका ध्यान अपनी और आकर्षित किया। ये इनका एकमात्र किरदार था जो इन्होने श्री कृष्णा धारावाहिक में निभाया था ये उस समय लगभग 42 वर्ष के थे। इस से पहले उनकी मराठी फिल्म जवाई विकट घने आहे बहुत लोकप्रिय हुई। उस समय का गीत ये मिलनी रात ही रंगली बहुत लोकप्रिय था। इस फिल्म और गीत ने उन्हें काफी लोकप्रिय बना दिया इसके बाद उन्होंने कई और फिल्मो में काम किया जैसेओवलित भौर्या, तुम मेरी रानी हो, दिखने में लोचन, भगवान् से पहले आदमी, अजातशत्रु, दोस्त, अचानक, तीन चेहरे, प्रेम से भरा एक पत्र, चाँद का टुकड़ा, खट्टा मीठा, श्रद्धा और अन्याय का विरोध आदि। अन्याय का विरोध उनकी आखिरी फिल्म थी। रविराज जो कई फिल्मो में चमकता नाम रहे वो मायानगरी की चकाचौंध से दूर हो गए। किराय के मकान में रहते थे। उन्होंने अपना घर बनाने का बहुत प्रयाश किया लेकिन अपना घर नहीं बना पाए। उनका घर बनाने का सपना अधूरा रह गया। 18 मार्च 2020 को विले पार्ले स्तिथ आवास में उनका निधन हो गया।
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