Cricketer R P Singh Biography in Hindi आरपी सिंह की जीवनी | ये भारतीय क्रिकेट टीम के एक उत्कृष्ट बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं

R P Singh Rudra Pratap Singh Biography in Hindi


उत्तर प्रदेश से रैना और कैफ समेत कई सितारे क्रिकेट की दुनिया में चमके हैं। इन्हीं में एक नाम है आरपी सिंह। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर रायबरेली से आने वाले स्विंग गेंदबाज आरपी सिंह स्विंग की सनसनी बन कर उभरे थे। अपने करियर के पहले टेस्ट में मैन ऑफ द मैच रहने वाले आरपी सिंह को आखिरी टेस्ट में एक विकेट भी नसीब नहीं हुआ था। आरपी सिंह के क्रिकेट का सफरनामा कैसा रहा जानेगे लेकिले जानते है उनके जीवन के बारे में। आरपी सिंह का जन्म 6 दिसंबर 1985 को उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली में हुआ, जो एक बहुत ही साधारण परिवार से सबंधं रखते हैं, उनकी माता का नाम गिरिजा देवी और पिता का नाम शिव प्रताप सिंह है। रुद्र प्रताप अपनी फैमिली में इकलौते बेटे हैं। उनकी दो बहनें हैं। आरपी सिंह के पिता भारतीय तकनीकी संस्थान की तकनीकी शाखा में ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं। रुद्र की शुरुआती पढ़ाई रायबरेली के नेहरू नगर स्थित सेंट निकोलस में हुई। यहां वे सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़े। रुद्र के पिता ने 5वीं क्लास के लिए उनका एडमिशन शांति निकेतन नाम के स्कूल करवाया। यह स्कूल उनके घर से बहुत पास था। आरपी का दूसरा स्कूल छप्पर से बना था। बारिश में अक्सर वहां की छतों से पानी टपका करता था। वे इस स्कूल में 8वीं क्लास तक पढ़े। उसके बाद इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज से पूरी की। रायबरेली के रहनेवाले रुद्र यहां अपने दोस्तों के बीच 'रामू' नाम से पॉपुलर हैं। आरपी सिंह का पूरा नाम रूद्र प्रताप सिंह है। जो कि भारतीय क्रिकेट टीम के एक बाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं। 

आरपी का मन शुरुआत से ही पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट में लगता था। पिताजी ने आरपी सिंह को सन् 2000 में लखनऊ भेजा और उन्हें गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हें शुरुआती ट्रेनिंग दीपक शर्मा और एसपी श्रीकृष्णन ने दी। 2000 में उनका सिलेक्शन यूपी की अंडर-17 टीम में हुआ और वे अपनी पहली इंटरनेशनल ट्रिप श्रीलंका के लिए चले गए। वहां उन्होंने 18 विकेट लिए थे। 2002-03 में यूपी से खेलते हुए उन्होंने 22 मैचों में 78 विकेट चटकाए। रुद्र प्रताप सिंह ने 2004 के अंडर-19 विश्वकप में अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 8 विकेट झटके थे। यही नहीं, इसी साल रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की ओर से खेलते हुए आरपी सिंह ने 34 विकेट झटके थे। इन परफॉर्मेंस के बाद उनका सिलेक्शन टीम इंडिया में हुआ।

आरपी सिंह ने अपने पहले एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच की शुरुआत, सितंबर 2005 में जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में की थी, जिसमें उन्होंने अपने पहले ही मैच में 2 विकेट हासिल किए। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ अपने तीसरे एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में 35 रन देकर 4 विकेट लेने का एक जादुई आंकड़ा पार करते हुए न केवल भारत को मैच जीतने में मदद की बल्कि उन्होंने पहला ‘मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार’ भी अपने नाम किया। उनके घर के पास 'श्रीलंका' नाम का छोटा-सा मैदान था, जहां वे क्रिकेट खेलते थे। यह एक इत्तेफाक ही है कि इंटरनेशनल करियर की शुरुआत से लेकर वनडे में करियर बेस्ट परफॉर्मेंस (35 रन देकर 4 विकेट) तक श्रीलंका के ही खिलाफ आया।

हालांकि बाद में, आरपी सिंह अपनी इस शैली को बरकरार नहीं रख पाए और मई 2006 में पहले ही मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ हुए टूर्नामेंट में पूर्णता असफल रहे और लगातार कई क्रिकेट मैचों में विकेट न ले पाने के कारण और एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैचों के लिए विवादों में रहने के कारण उन्हें कुछ समय के लिए टीम से बाहर कर दिया गया।

इसी बीच, रुद्र प्रताप सिंह उर्फ आरपी सिंह ने अपने पहले टेस्ट मैच की शुरुआत जनवरी 2006 में, पाकिस्तान के फैसलाबाद में, पाकिस्तान के खिलाफ खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच से की, जिसमें उन्हें 5 विकेट लेने का श्रेय प्राप्त हुआ और उन्हें मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया। आरपी सिंह ने फिर से अपनी स्विंग गेंदबाजी का जादू दिखाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ एक मैच में 4 विकेट लिए जिससे भारत ने 3-1 सीरीज में बढ़त हासिल की और इस मैच में भी उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ से सम्मानित किया गया। वह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2006 में भारतीय एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच स्क्वार्ड का भी हिस्सा रहे, लेकिन लंबे समय तक उनके खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिली।

हालांकि बाद में, उन्हें फिर से 2007 में बांग्लादेश और इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया। उन्होंने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाते हुए इंग्लैंड के खिलाफ हुए 5वें एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैच में 31.71 की औसत से 7 विकेट लिए और इसी के साथ इंग्लैंड के खिलाफ हुए एक अन्य टेस्ट मैच में 5/59 के शानदार आंकड़े के साथ टीम में वापसी की।

आरपी सिंह, सितम्बर 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुए आईसीसी विश्वकप टी-20, 2007 के क्रिकेट टूर्नामेंट में भी भारतीय टीम का एक हिस्सा थे। उन्होंने अपने भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए लगभग सात मैचों में 12.66 की औसत के साथ 12 विकेट लेते हुए, आईसीसी विश्व टी-20, 2007 में क्रिकेट टूर्नामेंट में वे दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बन गए। आरपी सिंह द्वारा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सुपर-8 के चरण में एक महत्वपूर्ण मैच में शानदार प्रदर्शन किया गया, जहाँ उन्होंने 4 ओवरों में 13 रन देकर 4 विकेट लिए । आरपी सिंह भारत को आईसीसी विश्व टी-20, 2007 क्रिकेट टूर्नामेंट में जीत दिलाने में बहुत मदद की और जिसने भारत के क्रिकेट प्रशंसकों के इस सपने को सच साबित करने का कार्य किया।

आरपी सिंह बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के रूप में बार-बार विकेट लेते हुए अपनी योग्यता को साबित करने में सफल रहे, जिनमें उन्होंने बेकार से बेकार पिच पर भी स्विंग गेंदबाजी करने की अपनी अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन भी किया है, जिससे वे भारत के लिए एक तेज गेंदबाज के एक अच्छे विकल्प बन गए, जो अपने खुद के दम पर पूरे मैच को बदलने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। 

अपने करियर के पहले टेस्ट में मैन ऑफ द मैच रहने वाले आरपी सिंह को आखिरी टेस्ट में एक विकेट भी नसीब नहीं हुआ था। आरपी सिंह ने 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट में कुल पांच विकेट लिए थे। पहली पारी में उन्होंने शोएब मलिक, यूनिस खान, मोहम्मद यूसुफ और अब्दुल रज्जाक जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को आउट किया था। वह मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ लेकिन आरपी सिंह को मैन ऑफ द मैच चुना गया था। आरपी सिंह ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। भारतीय टीम 2011 में इंग्लैंड दौरे पर जूझ रही थी और तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार चोटिल हो गए थे। आरपी सिंह उन दिनों अमेरिका में छुट्टियां मना रहे थे और वहां से डायरेक्ट आकर टीम से जुड़े। 

टीम पहले ही तीन टेस्ट गंवा चुकी थी और आखिरी टेस्ट लंदन के द ओवल में खेला जाना था। आरपी सिंह मैच के लिए फिट भी नहीं थे और कोई मैच प्रैक्टिस भी नहीं की थी। आरपी सिंह इस टेस्ट में एक भी विकेट नहीं ले पाए और अपनी गेंदबाजी से कप्तान धोनी समेत सबको काफी निराश किया था।

मैदान पर काफी उग्र दिखने वाले आरपी सिंह अपने निजी जीवन में काफी शर्मीले किस्म के और कम बोलने वाले इंसान हैं। 01 दिसम्बर 2012 को आरपी सिंह ने देवांशी पोपट से विवाह रचाया। वर्ष 2009 में देवांशी पोपट को उनकी एक सहेली ने आरपी सिंह से एक रणजी मैच के दौरान मिलवाया था।आरपी को पहली नजर में ही देवांशी से प्यार हो गया था इसी कारण पहले ये मुलाकात दोस्ती में बदली और उसके बाद प्रेम में, लेकिन तीन साल तक एक-दूसरे को बेइंतहा चाहने के बाद भी इनकी कहानी किसी को पता नहीं चल पाई क्योंकि आरपी अपनी पर्सनल लाइफ को किसी से शेयर करना नहीं चाहते थे। पूरे तीन साल तक एक-दूसरे को डेट किया इस बात की किसी को कानो कान खबर नहीं हुई। 

2007 में साउथ अफ्रीका में टीम इंडिया को टी-20 का विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले आरपी सिंह को कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का खास दोस्त माना जाता रहा है। ऐसा भी कहा जाता है कि पूर्व कप्तान एमएस धोनी एक बार आरपी सिंह के लिए चयनकर्ताओं तक से भिड़ चुके हैं। हालांकि इसके बावजूद आरपी सिंह टीम में जगह नहीं मिल पाई थी।
धोनी ने हमर गाड़ी ली हो, या अपना घर बनवाया हो, हर खास मौके पर आरपी सिंह उनके साथ रहे हैं। धोनी और साक्षी की शादी में भी बहुत कम लोग दिखे थे और आरपी सिंह वहां भी सबसे आगे ही नजर आए थे। धोनी कितने भी बिजी रहे हों, लेकिन आरपी सिंह के लिए वो अक्सर समय निकाल ही लेते दिखे।

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